Wednesday, 5 April 2017

किशोरी अमोनकर

१० अप्रैल १९३१ को मुम्बई में पैदा हुए इस महान गायिका का नाम था किशोरी अमोनकर अपनी माँ मोगूबाई कुर्डीकर के गुरुत्व के साथ पली बढ़ी किशोरी ताई ने शास्त्रीय संगीत में अपना परचम लहराया उन्होंने १९५० से अपने कर्रिएर की शुरुवात की , उनके पति रवि अमोनकर ने भी उनका खूब साथ दिया हिंदी फिल्म " गीत गाय पत्थरों ने " में उन्होंने  टाइटल सांग गाया था वह भी इसलिए के उन्हें यह देखना था के सब लोग हिंदी फिल्म सांग्स को क्यों पसंद करते हैं किन्तु बाद में उन्होंने शास्त्रीय संगीत में ही अपनी रूचि रखी वह शास्त्रीय संगीत में इस कदर मग्न हो गयी के उनके नाम की चर्चा होने लगी चाहे फिर वह कौनसा भी राग हो उन्होंने उसे इस कदर पेश किया के आगेवाले ने वाहवाही दी ही समझो उन्होंने डिंपल कापड़िया अभिनीत " दृष्टि" फिल्म को संगीत दिया था उनका मराठी का " हे शाम सूंदर राजसा मनमोहन , विनवुनी सांगते तुज, जावु दे मला परतुनी" यह भी कृष्ण गीत काफी मशहूर हुआ हैं इन्हें संगीत नाटक अकादेमी-१९८५, पद्मभूषण सन्मान-१९८७, संगीत सम्रादनी सन्मान-१९९७, पद्मविभूषण सन्मान-२००२,संगीत संशोधन अकादमी सन्मान-२००२, संगीत नाटक अकादमी फ़ेलोशिप-२००९ इतने पुरस्कार मिले हैं जयपुर घराने की यह शिष्या अपने उम्र के ८४ साल के पड़ाव में सोमवार अप्रैल २०१७ की रात को अनंत में विलीन हो गयी हैं ऐसे महान गायिका को हमारा शत शत नमन

डबल रोल

कहते हैं के हमारी हूबहू शक्ल के दुनिया में तरह के व्यक्ति होते हैं किन्तु उनसे हमारा सामना होना बहोत मुश्किल बल्कि नामुमकिन कहा जा सकता हैं लेकिन यह बात हमारे देश के फिल्मों में संभव हैं जो बात असंभव सी लगती हैं वह बात हमारे फिल्मों में संभव हो जाती हैं ऐसे में हमारे फिल्मों के हीरो दो या तीन रोल में दिखे तो कहीं ना कहीं मिल ही जाते हैं फिल्म महान में अमिताभ बच्चन नें पिता और दो बच्चों का रोल निभाया था जिसमे तीनो अलग अलग जगह पर होने के बावजूद मिल ही जाते हैं क्योंकि वह बाप और बेटा थे संजीव कुमार ने तो कमाल ही किया था उन्होंने " नया दिन  नई रात " में कुल नौ रोल निभाये थे ।काफी अच्छी फिल्म थी किन्तु ऐसा भी दिखाया जाता हैं के दोनों हमशक्लों का कोई भी रिश्ता ना होते हुए भी वह एक दूसरे के आमने सामने जाते हैं लेकिन ज्यादातर हमशक्ल किसी किसी का रिश्तेदार होता हैं इस मामले में निर्देशक गुलज़ार की फिल्म " अंगूर " का उदहारण देना संयुक्तिक होगा क्योंकि वह फिल्म इतनी मनोरंजक थी की क्या कहना संजीव कुमार और देवेन वर्मा की लाजवाब कॉमेडी फिल्म में इतना रंग भरती हैं की शुरू से लेकर आखिर तक सिर्फ मनोरंजन और मनोरंजन ही होता हैं ज्यादातर हमशक्ल वाली फिल्म कॉमेडी ही दर्शाती हैं जैसे फिल्म "आँखें " को ही ले लीजिये जिसमे कादर खान , गोविंदा और राज बब्बर का डबल रोल था राज बब्बर एक खलनायक और एक मुख्यमंत्री दिखाया था डबल रोल की उल्लेखित फिल्में - दिलीपकुमार - राम और श्याम, राजेश खन्ना-हमशक्ल, सच्चा झूठ, आराधना, धर्मेंद्र-इज्जत , राजेंद्र कुमार-गोरा और काला, सलमान खान-जुड़वा, अक्षय कुमार-रावडी राठौड़, देव आनंद - हम दोनों , अमिताभ बच्चन- आखरी रास्ता, डॉन, अदालत, कसमे वादे, बड़े मियाँ छोटे मियाँ, गोविंदा- आँखे, बड़े मियाँ छोटे मियाँ, इनमे नायिकाएं भी पीछे नहीं हेमा मालिनी ने " सीता और गीता" में जो मजेदार और गजब का अभिनय किया वह काबिले तारीफ़ था और उन्हें धर्मेंद्र और संजीव कुमार ने भी बहोत सुन्दर तरीके से साथ दिया था इस फिल्म के गाने भी काफी हिट हुए जैसे कल रात सपने में और साथी चल जैसे गाने काफी हिट हुए थे ।इसी क्रम में श्रीदेवी अभिनीत चालबाज का उदहारण आता हैं इसमें अंजू और मंजू का किरदार श्रीदेवी ने काफी मजेदार तरीके से निभाया था और उनके साथी थे सनी देओल और रजनीकांत  संगीत भी लष्मीकांत प्यारेलाल का लाजवाब था काजोल ने भी फिल्म "दुश्मन" में डबल रोल काफी अच्छे तरीके से निभाया था जिसमे एक बहन का क़त्ल होने के बाद दूसरी बहन कैसे निडर और साहसी बनती हैं यह दिखाया था ऐसे डबल रोल करने वाले कलाकारों को काफी मेहनत से यह रोल निभाना पड़ता हैं इसमें एक रोल को दूसरे रोल से पूरी तरह अलग रखना पड़ता हैं तभी वह हिट होता हैं ऐसी फिल्में आती रही हैं और आती रहेंगी और हमारा मनोरंजन करती रहेगी