Friday, 13 May 2016

mansoon

मानसून
इस बार महाराष्ट्र राज्य में बारिश काफी अच्छी होनेवाली है। 30 मई से 5 जून तक जोरदार बारिश आने की संभावना  भारतीय हवामान संस्थान की तरफ से अनुमान लगाया गया है। पिछले साल के मुक़ाबले इस साल 31.3 प्रतिशत बारिश विदर्भ में, तो 28.2 प्रतिशत ज्यादा बारिश मध्य महाराष्ट्र में आने की  संभावना है। इसके बाद कोंकण में 27.5 प्रतिशत तो मराठवाडा मे 24.9 प्रतिशत ज्यादा बारिश आने की संभावना है।  महाराष्ट्र राज्य की औसतन बारिश 106 प्रतिशत रहेगी।  केरला में मानसून समय पर आएगा किन्तु महाराष्ट्र में 30मई से ही मानसून आने की संभावना जताई जा रही है।  तथा यह मानसून संतोष पूर्ण रहने की आशा हैं।
       इस मानसून पूर्व बारिश का उपयोग आपातकालीन व्यवस्थापन, मानसून का परिवर्तनशील अनुकूल परिणाम, खेती से संबधित योजनाएँ , और पानी के नियोजन के लिए किया जाता हैं। मानसून के समय होनेवाली बीजलियों की गड़गड़ाहट , बिजली गिरने की संभावना , उससे होनेवाली जीवित तथा वित्तीय हानी इसका पूर्ण अभ्यास करने का जिम्मा आईआईटीएम तथा भारतीय हवामान संस्थान संभालता हैं। मार्च में होनेवाले वातावरणीय बदलो से ही जून से सितम्बर में आनेवाले मानसून के बारे में अंदाज़ लगाया जाता हैं।


Wednesday, 11 May 2016

पिता



ekWa flQZ ,d शब्द किन्तु इसमे इतनी शक्ति समाई हैं की जिसे भगवान भी नकार नहीं सकता। माँ जिसे हम देवी कहके पूजते है। जो हमारी जन्मदात्री हैं। जो हमारी पालंकरती हैं।  माँ के लिए कितने ही गीत बने है। कितने ही उपमाए दी जाती है।  जिसके बिना हमारा जीवन अधूरा है। किन्तु इसमे क्या हमारे पिता का कोई भी महत्व नहीं है।  हम बड़ी शान से माँ के गुणगान गाते है किन्तु वही होंठ बाप के गुणगान क्यों नहीं करते। मैं यह नहीं कहता की हम पिता को महत्व नहीं देते, किन्तु जितनी तरह से हम माँ के गुणगान गाते हैं पिता के बारे मे कहने में क्यों कंजूसी करते है।  माँ जन्मदात्री है तो पिता भी पालक है।  पूरी जिंदगी भर वही हमारा पालन पोषण करते है।  माँ के आँचल मे जहा हम सुकून महसूस करते है वही पिता के आगोश मे खुद को सुरक्षित महसूस करते है।  हमारे देश में आज भी अगर बेटा बेरोजगार हो तो भी उसे पालने में पिता कोई शर्मिंदगी महसूस नहीं करता।  जहापर हमारे पुराण, ग्रंथ माँ की महिमा से भरे पड़े है वही पिता के बारे मे वो थोड़े अंजान ही हैं।  जहां हम महाबली हनुमान को अंजनी पुत्र कहके बुलाते हैं, वही पर उसके पिता का नाम उसके साथ क्यों नहीं जोड़ते।  जहां हम माँ ने इतना त्याग किया वो अपने बच्चों के लिए यह करती है वो करती हैं ऐसा कहते है, तो उसके पीछे पिता का कोई भी हाथ नहीं होता क्या।  अगर माँ घर के अंदर अपने बच्चों को सुरक्षित रखती है वही पिता बाहरी दुनिया से अपने बच्चों को सुरक्षित रखता हैं।  जितना योगदान अपने बच्चों को जिंदगी में सफल बनाने में माँ का होता हैं उतना ही पिता का भी होता हैं।  इसलिए आज में सब से कहता हूँ की जिस समय आप माँ की तारीफ करे उस समय थोड़ा सा ही सही अपने पिता के बारे में भी बोल लिया करे।

Friday, 29 April 2016

paani

पानी बचाओ आज के युग का भीषण सत्य जो कटु होते हुए भी सत्य है।  क्यूंकि यह आज की सच्चाई है के आने वाले युग का तीसरा महायुद्ध पानी के लिए ही होगा।  यह अविष्वसनीय लग रहा है किन्तु यही सच्चाई है।  आज हमारे देश की अधिकाँश शहरों का तापमान निम्म्लिखित प्रकार से  है -
१. लखनौ - ४७ डिग्री
२. दिल्ली -४७  डिग्री
३. आगरा - ४५  डिग्री
४. नागपुर-४९  डिग्री
५. कोटा-४८  डिग्री
६. हैदराबाद-४५  डिग्री
७. पुणे-४२  डिग्री
८. अहमदाबाद-४६  डिग्री
९.  मुंबई-४२  डिग्री
१०. नासिक -४०  डिग्री
११. बंगलौर -४६  डिग्री
१२. चेन्नई-४२  डिग्री
शायद आनेवाले वाले सालों में यह शहर ५० डिग्री का तापमान तक छलांग लगा सकता हैं।
इतना गर्म क्यों है या हो रहा है।  इसका कारण विगत १०  सालों में करीब १० करोड़ पेड़ महामार्गों की चौड़ाई के लिए काटे गये हैं।  किन्तु १ लाख के करीब भी पेड़ लगाए नहीं गए है।  तो देश ठंडा कैसे होगा। तो हम आज ही यह प्रण करते हैं की हम आज से ही पेड़ लगाने का काम शुरू करते है।  बिज बोना या पेड़ लगाना कोई मुश्किल काम नहीं है।  और यह कोई खर्चीला भी काम नहीं है। सिर्फ शतावरी , बेल , पीपल , तुलसी, आम , निम्बू, जामुन, नीम या कोई भी फलवर्गीय पेड़ के बीज ले।  फिर दो तिहाई गड्डा कीजिये ये आप कोई भी खुली जगह पे रस्ते के बाजू पे या फुटपाथ , महामार्गों  के बाजू पे , बगीचे के पास या अपने सोसाइटी के पास या बंगलो के पास कर सकते है।  अब इन गड्डो में बिज डालकर इस के ऊपर मिटटी डालकर थोड़ा पानी डाले।  गर्मी में २ दिनों के बाद पानी डाले।  बारिश में तो पानी डालने की जरुरत नहीं।   १५-२० दिनों में छोटे पौधे निकल आएंगे हम उसकी हिफाजत करे बस।  अगर इस तरह पेड़ लगाना मुश्किल है तो हम कभी भी बाहर जाते हैं तो आप  अपने साथ थोड़े बिज लेके जाए और रस्ते में डाले ऐसे करके भी हम पेड़ लगा सकते है।  ऐसा करके  हम धरती को ठंडा कर सकते हैं।  १ आदमी द्वारा १ पेड़ अगर लगाएंगे तो १० करोड़ पेड़ लगाना कोई मुश्किल बात नहीं।  यही हमारी कोशीश आने वाले नस्लों के काम आएगी।  इसी से बारिश का पानी पेडो द्वारा रोक लिया जायेगा और पानी जमींन के अंदर समाता जायेगा और पानी को कोई कमी नहीं रहेगी।  

Friday, 1 April 2016

metro

मेट्रो रेल आज के  युग की जरूरत हैं। मेट्रो रेल  की वजह से परिवहन  व्यवस्था  मे  काफी  प्रगति होती हैं। मेट्रो रेल की वजह  से  ना ट्रेफिक  की समस्या होती  है और ना ही  परिवहन  मे  कोई  बाधा आती  हैं। मेट्रो  रेल  महानगरों तथा छोटे शहरों की  परिवहन की  जरूरत  पूरा  करती हैं।  केंद्र  सरकार की नीति  के   अनुसार 20 लाख से  ऊपर आबादी  वाले  शहरों  में  मेट्रो  रेल  चलाई  जाये  तो  पूरे  भारत  में  मेट्रो रेल की वजह से परिवहन  व्यवस्था  सुधार  जाएगी । मेट्रो रेल  अगर  सौर ऊर्जा पे चलाई जाये तो वो हरित ट्रेन कहलाएगी ।
  हमारा  देश   उष्ण  कटिबंधीय  प्रदेश  में  आता  हैं  इसलिए  हमारे  यहाँ  बारह  महीने  अच्छी धूप  खिलती  हैं  इसलिए  यहाँ पर  सौर  ऊर्जा  पर  ट्रेन  चलाना  बेहद  किफ़ायतशिर  रहेगा।  लेकिन  सौर  ऊर्जा  के  उपकरण  महंगे  होने  की  वजह  से  इसे  लागू  करने  में  कठिनाईया आ रही  हैं।  लेकिन अगर सरकार  सकारात्मक  सोच  रखें  और  इस  दिशा  में  जल्द से जल्द पहल करें तो वो दिन दूर नहीं जब हमारे देश में भी विदेशों की तरह मेट्रो चलती हुई दिखाई देंगी। इस दिशा में नागपुर  मेट्रो रेल ने  शुरुआत कर दी  हैं।  नागपुर मेट्रो रेल  देश  की  पहली  सौर ऊर्जा  पे  चलने  वाली  मेट्रो  रेल कहलाएगी।