पिता
ekWa flQZ ,d शब्द किन्तु इसमे इतनी शक्ति समाई हैं की जिसे
भगवान भी नकार नहीं सकता। माँ जिसे हम देवी कहके पूजते है। जो हमारी जन्मदात्री
हैं। जो हमारी पालंकरती हैं। माँ के लिए
कितने ही गीत बने है। कितने ही उपमाए दी जाती है।
जिसके बिना हमारा जीवन अधूरा है। किन्तु इसमे क्या हमारे पिता का कोई भी
महत्व नहीं है। हम बड़ी शान से माँ के गुणगान
गाते है किन्तु वही होंठ बाप के गुणगान क्यों नहीं करते। मैं यह नहीं कहता की हम
पिता को महत्व नहीं देते, किन्तु जितनी तरह से हम माँ के गुणगान गाते हैं
पिता के बारे मे कहने में क्यों कंजूसी करते है।
माँ जन्मदात्री है तो पिता भी पालक है।
पूरी जिंदगी भर वही हमारा पालन पोषण करते है। माँ के आँचल मे जहा हम सुकून महसूस करते है वही
पिता के आगोश मे खुद को सुरक्षित महसूस करते है।
हमारे देश में आज भी अगर बेटा बेरोजगार हो तो भी उसे पालने में पिता कोई
शर्मिंदगी महसूस नहीं करता। जहापर हमारे
पुराण, ग्रंथ माँ की महिमा से भरे पड़े है वही पिता के बारे मे वो थोड़े
अंजान ही हैं। जहां हम महाबली हनुमान को
अंजनी पुत्र कहके बुलाते हैं, वही पर उसके पिता का नाम उसके साथ क्यों नहीं
जोड़ते। जहां हम माँ ने इतना त्याग किया वो
अपने बच्चों के लिए यह करती है वो करती हैं ऐसा कहते है,
तो उसके पीछे पिता का कोई भी हाथ नहीं होता क्या।
अगर माँ घर के अंदर अपने बच्चों को सुरक्षित रखती है वही पिता बाहरी दुनिया
से अपने बच्चों को सुरक्षित रखता हैं।
जितना योगदान अपने बच्चों को
जिंदगी में सफल बनाने में माँ का होता
हैं उतना ही पिता का भी होता हैं। इसलिए आज
में सब से कहता हूँ की जिस समय आप माँ की तारीफ करे उस समय थोड़ा सा ही सही अपने पिता
के बारे में भी बोल लिया करे।
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