Thursday, 19 May 2016

GENERATION GAP



जनरेशन ग्याप
जनरेशन ग्याप मतलब 2 पीढ़ियों का अंतर।  हर पुरानी पीढ़ी नयी पीढ़ी में कुछ ना कुछ नुक्स निकालती हैं।  ये आज ही नहीं बल्कि सदियों से चलता आ रहा हैं।  हर पुरानी पीढ़ी नई पीढ़ी को यह कहते हुए दिखती हैं के हमारे जमाने में ऐसा था ऐसा नहीं होता था।  किन्तु यह बात कहा तक सच हुई दिखती हैं।  मिसाल के तौर पर हमारे संगीत को ही ले लीजिये जब हमारे देश में  स्त्रियों को घर के चारदीवारी में ही रखा जाता था।  चूल्हा और चौका में ही उनका जीवन था।  तब नाटकों में स्त्री भूमिका निभाने के लिए पुरुष ही स्त्रियों का भेस बनाकर उस भूमिका को निभाते थे।  उस समय क्या नाटक बेहतर नहीं होते थे क्या।  रामलीला होती थी वो भी बिना स्त्री के।  किन्तु उसे भी देखने लोग भीड़ में जमा होते थे।  आज भी लोग रामलीला देखने आते हैं सिर्फ आज स्त्री की भूमिका स्त्री ही निभाती हैं।  तो क्या आज रामलीला उत्कृष्ट नहीं होती हैं क्या।  जब हमारे देश में चलचित्र यानि के सिनेमा का जन्म हुआ तब राजा हरिश्चंद्र जैसे सिनेमा उस जमाने में काफी सराहे गए।  तो क्या वह उत्कृष्ट या श्रेष्ठ नहीं होते थे क्या।  या आज के जमाने में बने बाजीराव मस्तानी जैसे सिनेमा उत्कृष्ट नहीं हैं क्या।  हम जब किसी की तुलना किसी दूसरे से या नए जमाने की तुलना पुराने जमाने से करते हैं तो यह क्यों नहीं देखते की उस जमाने में वो सही था या उत्कृष्ट था और आज के जमाने में यह सही हैं।  फिल्म संगीत की बात ही ले ले तो कुंदनलाल सहगल जी बहोत महान गायक थे क्योंकि उस जमाने में उसी तरह के गीत पसंद किए जाते थे तो क्या वो गीत अच्छे नहीं थे या आज के जमाने में सोनू निगम जैसे गायकों ने गाये हुए गीत अच्छे नहीं होते हैं।  भले ही आज हनी सिंह का जमाना है किन्तु आज भी मोहम्मद रफी, किशोर कुमार, मुकेश, मन्नाडे जी जैसे गायकों के द्वारा गाये हुए गीत ही ज़्यादातर पसंद किए जाते हैं या किसी भी समारोह में उनके द्वारा गाये ही गीत गाये जाते हैं।  मतलब अगर नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी के गीत या अन्य बाते पसंद कर सकती है तो पुरानी पीढ़ी नए पीढ़ी के युवाओं को प्रोत्साहित क्यू नहीं कर सकती।  हमेशा उनको हमारे जमाने में ऐसा नहीं था वैसा नहीं था ये कहना कहा तक सही हैं।  अगर कुंदनलाल सहगल जी ने मोहम्मद रफी जी को प्रोत्साहित नहीं किया होता तो आज हम रफी जैसे महान गायक की आवाज से परिचित नहीं होते।  मतलब जब तक पुरानी पीढ़ी नई पीढ़ी को आगे बढ्ने में मदद या उन्हे प्रोत्साहित नहीं करेगी वो आगे कैसे बढ़ेंगे।  लता मंगेशकर जी ने काफी सालों से फिल्मफेयर अवार्ड लेना बंद कर दिया इसी मकसद से की नयी पीढ़ी को वह अवार्ड मिले।  इसलिए आगे बढ्ने में सबकी मदद करो ताकि वह आगे बढ़कर आपका नाम ले सके तभी यह जनरेशन ग्याप कम होगी। 

तापमान



तापमान
       गर्मी के कारण पूरा देश सहम गया हैं।  हवामान विभाग के तरफ से जारी हुए बयान में यह कहा गया हैं के महाराष्ट्र, तेलंगना, गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली इन प्रदेशों में ज्यादा गर्मी रहेगी।  और यह गर्मी 21 मई तक रहेगी।  तेलंगना में अबतक  309 लोगोंकी गर्मी से मौत हो गयी हैं।  इसी कारण महाराष्ट्र में भी गर्मी बढ़ गयी हैं।  सिर्फ दक्षिण के राज्य तथा नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को छोड़ दिया जाये तो पूरा भारत गर्मी से झुलस रहा हैं।  केरला, तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश, पुद्दुचेरी, आसाम, बंगाल इन राज्यों में पिछले 24 घंटे से बारिश चालू हैं।  इसमे छोटे पंछी तथा बड़े शिकारी पंछी भी गर्मी का शिकार हो रहे हैं।  जो शिकारी पंछी 100 से 200 मिटर ऊपर उड़ सकते हैं वो सूरज की तपिश में आने के कारण मर रहे हैं।  इसलिए अगर हमे ऐसे पंछी दिखाई दे तो उन्हे तत्काल ग्लूकोज  पिलाये।  उनके ऊपर ठंडा पानी डालकर पशु डॉक्टर के पास ले जाये।  इसलिए हर नागरिक का भी यह फर्ज़ बनता हैं के वो अपने आँगन में पंछीयों के लिए पीने के लिए ठंडा पानी रखे तथा खाने के लिए दाना रखे।  चिड़िया को तो हर 10-15 मिनट में पानी की जरूरत होती हैं नहीं तो वह सन्स्ट्रोक के कारण मर जाती हैं।  यही समस्या आनेवालों सालों में ना होने के लिए हमे पेड़ लगाने पड़ेगे ताकि गर्मी से बचाव हो सके।  पेड़ के कारण बारिश ज्यादा आएगी पानी की भी समस्या नहीं रहेगी। तो उस कारण पृथ्वी का तापमान भी  कंट्रोल में रहेगा।  इसमे खुशी की बात यह हैं के मानसून अंडमान और निकोबार द्वीप पर पहुँच गया हैं।  तापमान बढ्ने के लिए जिस तरह अगणित पेड़ो की कटाई जिम्मेदार हैं उसी तरह बेशुमार कार्बन उत्सर्जन का भी कारण जिम्मेदार हैं।  इसलिए हमे पेड़ लगाने के साथ साथ रेन वॉटर हार्वेस्टिंग यानि बारिश के पानी के पुरनभरण करने की जरूरत हैं।  इसलिए जागो हमारे वसुंधरा का तापमान कंट्रोल करने के लिए हमारे तरफ से जो भी हो सके वह प्रयत्न करो। 

Wednesday, 18 May 2016

AKHAND BHARAT



अखंड भारत  

       सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्ता हमारा ß यह पंक्तियाँ हमारे देशप्रेम को उजागर करता हैं। हम किसी भी देश में चले जाएँ लेकिन हमे अपना देश बड़ा प्यारा लगता हैं। ऐसे में अगर अपने देश को मजबूती से बाँधके रखने के लिए देश की छ्बी बिगाडनेवालों को ठीक करने का काम सरकार ने शुरू किया किया है तो उसमे खुशी की बात होनी चाहिए। हमारे सरकार ने भारत का नक्शा गलत तरीके से दिखानेवालों के खिलाफ कारवाई करने के प्रस्ताव के ऊपर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई हैं।  भारतीय संसद में पेश हुए प्रस्तावित विधेयक के ऊपर पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र यूएनओ के तरफ आपत्ति जताई हैं। इस विधेयक को रोक के रखने के लिए यूएनओ को कहा हैं।   भारत जम्मू और कश्मीर को अपना प्रदेश दिखा रहा हैं किन्तु यह प्रदेश वादग्रस्त होने का दावा पाकिस्तान कर रहा हैं और इसीलिए इस विधेयक पर रोक लगाने की बात कर रहा हैं।  किन्तु यह देश का आंतरिक मामला होने के कारण पाकिस्तान को इसमे दखलअंदाजी करने का कोई अधिकार नहीं ऐसा भारत सरकार का कहना हैं।  जो भारत का अभिन्न अंग हैं उसे देश के नक्शे में दिखाना बंधनकारक करने के लिए ही यह विधेयक संसद में रखा गया हैं ऐसा विदेश मंत्रालय का कहना हैं।  इसमे 10 साल की कैद और 100 करोड़ का जुर्माना प्रस्तावित हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब पाकिस्तान हमारे देश के अंदर दाखल अंदाजी कर रहा हैं बल्कि यह 1947 से चल रहा हैं।  पाकिस्तान हमेशा भारत में अस्थिरता चाहता हैं इसलिए कश्मीर को आतंकवाद के जरिये सुलगता रखना चाहता हैं।  पहले खलिस्तान के जरिये आतंकवाद पंजाब में पनपता रहा किन्तु भारत सरकार के दृढ़ विश्वास और लोगों की देशभक्ति के कारण खलिस्तान का नारा हवा में बह गया।  इसलिए अब पाकिस्तान कश्मीर में अशांति फैलाना चाहता हैं। ऐसा इसलिए भी हो रहा हैं क्योंकि मुंबई बम धमाके का दोषी याक़ूब मेमन, संसद हमले  का मास्टर माइंड अफजल गुरु, मुंबई धमाके का दोषी अजमल कसाब इन सबको सरकार ने ना केवल पकड़ा बल्कि उनको फांसी पे भी चढ़ा दिया।  अब इन सबके गुरु जो पड़ोसी देशों में छिपे हुए हैं उनको भी भारत लाने की कोशिश हो रही हैं।  कश्मीर में भी आतंकवाद धीरे धीरे कमजोर होता जा रहा हैं।  वहा  के स्थानीय लोगोंकों भी यह पता चल चुका हैं के आतंकवाद से रोजी रोटी नहीं मिल सकती बल्कि परिवार तबाह होंगे और सिर्फ बरबादी होंगी।  कश्मीर का ज़्यादातर रोजगार पर्यटन पर आधारित हैं।  आतंकवाद के कारण पर्यटक कम आते थे।  किन्तु अब हालत सुधरने लगे हैं।  
यही बात पाकिस्तान को खटकने लगी हैं, उसपर से भारत सरकार नक्शे में जम्मू कश्मीर को अभिन्न अंग दिखने के कारण वह सीधा यूएनओ पहुँच गया हैं।   लेकिन हमारी सरकार ने भी ठान लिया हैं के देश के प्रति कोई समझोता नहीं होगा।  चाहे कुछ भी हो जाये।  जय हिन्द।

pahalwani ki dangal



ओलिंपिक्स
ज़िंदगी है खेल , कोई पास कोई फ़ेल, अनाड़ी है कोई, खिलाड़ी है कोई यह एक लोकप्रिय गाने की पंक्तियाँ है जिसमे बताया हैं के ज़िंदगी खेल की तरह है जिसमे कोई पास तो कोई फ़ेल होता है, इसमे खिलाड़ी भी है , अनाड़ी भी है। मतलब आप ज़िंदगी को खेल की तरह गुजारो।  खेल कैसे खेल की भावना से खेला जाता है जिसमे एक की हार तो एक की जीत होनी ही है।  लेकीन आज खेल कोई खेल की भावना से या देश के लिए ना खेलते हुए उसे अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा बना रहे है।  ऐसे ही हालात आजकल हमारे देश में दिख रहे है।  सुशील कुमार और नरसिंग पंचम यादव इनके बीच में पहलवानी पे खिचातानी चल रही हैं।  रियो ओलिंपिक्स में 74 किलो फ्री स्टाइल कुश्ती के लिए प्रतिनिधित्व करने के लिए सुशील कुमार सीधे कोर्ट पहुँच गए हैं।  अब वह नरसिंग पंचम यादव और अपने बीच टेस्ट लेने की बात कर रहे हैं।  जहां पहले चयन समिति खिलाड़ियों का चयन करती थी वहा खुद खिलाड़ी ही अपने ऊपर ज्यादा भरोसा करते हुआ समिति के विरुद्ध न्यायालय में जाने लगे हैं।  समिति का ये कहना हैं के पहले सुशील कुमार 66 किलो के वर्ग में खेलते थे किन्तु अचानक वह 74 किलो वर्ग में खेलने की मंशा रखते हैं और उसे पूरा करने के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हैं।  कुश्ती महासंघ पहले ही से नरसिंग पंचम यादव के पक्ष में हैं और संघ उसे ही रियो ओलिंपिक्स में भेजना चाहते हैं।  ऐसे में  अगर कोई खिलाड़ी न्यायालय में अपील दायर करे तो क्या होगा। ऐसे में योग्यता परीक्षा लेने से गलत धारणा होगी तथा एक गलत तरीके की शुरुवात होगी ऐसा भारतीय कुश्ती महासंघ का कहना हैं। जून के पहले सप्ताह में योग्यता परीक्षा लेने के निर्देश देने के लिए सुशील कुमार के वकीलों ने कोर्ट से कहा हैं।  कोर्ट ने रियो ओलिंपिक्स में कौन खेलेगा ऐसा पूछते ही संघ ने कहा की इसका फैसला पहले ही हो चुका है इस बात पर न्यायालय ने सुशील कुमार की भी बात को समझने के निर्देश भारतीय कुश्ती महासंघ को दी हैं। 

Tuesday, 17 May 2016

GHARELU HAWAI JAHAAJ



घरेलू हवाई जहाज
       मैं घर में काम कर रहा हूँ और मुझे कही जल्दी में घर से बाहर काम से जाना है, मैं जल्दी से तैयार होकर अपनी बाइक को किक मारने गया लेकिन ये क्या मेरी बाइक तो पंक्चर है।  घर से बस स्टॉप भी बहोत दूर है और मुझे अपने गंतव्य स्थान पर जल्द से जल्द पहुँचना है किन्तु इतने कम समय में यह संभव नहीं है ऐसे समय में अगर मेरे पास खुद का प्लेन यानि हवाई जहाज होता तो कितना अच्छा होता ये हम सोच सकते है।  किन्तु अगर यह बात सच में साबित हुई तो क्या कहने, लेकिन थोड़ा रुकिए यह अब सिर्फ सोचने वाली बात नहीं रही।  इसे साकार करने मे हमारे वैज्ञानिक लगे हुए है और यह बात जल्द ही कल्पना न होते हुए सच में साबित होने वाली है। जर्मनी के न्यूनिक विज्ञापीठ से डिग्री लिए हुए चार व्यक्तियों ने एक कंपनी स्थापित की हुई हैं।  इनके अनुसार अपने घर के दीवार को लगे हुए इलेक्ट्रिक सॉकेट के द्वारा करंट लेके दो आसनी हवाई जहाज घर के बाग में भी उतारा जा सकता हैं।  इस तरह का हवाई जहाज जर्मनी में तैयार हो रहा हैं।  नए से शुरू हुई जर्मन कंपनी दुनिया का पहला सबसे हल्का, पर्सनल , सीधा ऊपर उड्नेवाला, उतरनेवाला और पर्यावरण पूरक हवाई जहाज बना रहा हैं।
       दो व्यक्ति बैठ सके इस तरह का यह इलैक्ट्रिक हवाई जहाज होगा तथा इसके पंख नली के आकार के होने के कारण यह बहोत सीधा तथा आवाजरहित होगा।  यह हेलिकोप्टर की तुलना में सुरक्षीत होगा।  हर रोज उपयोग में ला सके ऐसा हवाई जहाज होगा ऐसा कंपनी का कहना हैं।  कंपनी के अनुसार वह इस तरह से उसे बनाएँगे की उसे हवाई अड्डे पर ज्यादा महेंगी तथा जटिल सुविधायों की जरूरत नहीं पड़ेगी।  ऐसा लिलुम कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डेनियल वेग्यांड का कहना हैं।  इनके अनुसार प्रदूषण तथा आवाज कम करने हेतु वह इलेक्ट्रिक इंजीन्स लगाने वाले हैं।  इसका उपयोग गावों से लेकर शहरों तक होने वाला हैं।  इसके अनुसार इस तरह के बननेवाले हवाई जहाज के आधे फीसदी आकार के हवाई जहाज के नमूनों की पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर परीक्षा ली जा रही हैं।  आनेवाले दिनों में  पूर्ण आकार के तथा चालकविरहित हवाई जहाज जल्दी ही तैयार होंगे ऐसा सूत्रों का कहना हैं।  इसकी उड़ने की क्षमता 500 किलोमीटर की रहेगी तथा यह 2018 तक बिक्री के लिए उपलब्ध होगा।  इसका नियंत्रण फ्लाय बाय वायर तथा टच स्क्रीन से होगा।  इसे हम अपने घर के दीवार को लगे हुए इलेक्ट्रिक सॉकेट से चार्ज कर सकते है।  मतलब वह दिन दूर नहीं जब अमीरों के घर मे महेंगी कार की जगह हवाई जहाज दिखने लगेंगे।  और अगर यह बात सही साबित हुई तो रोड की तरह ऊपर गगन में भी ट्रेफिक बढ़ेगा ।  हा लेकिन यह बात हमारे लिए वरदान साबित होगी यह सच हैं।