ओलिंपिक्स
“ ज़िंदगी है खेल , कोई पास कोई फ़ेल, अनाड़ी है कोई, खिलाड़ी है कोई” यह एक लोकप्रिय गाने की पंक्तियाँ है जिसमे बताया
हैं के ज़िंदगी खेल की तरह है जिसमे कोई पास तो कोई फ़ेल होता है,
इसमे खिलाड़ी भी है , अनाड़ी भी है। मतलब आप ज़िंदगी को खेल की तरह
गुजारो। खेल कैसे खेल की भावना से खेला
जाता है जिसमे एक की हार तो एक की जीत होनी ही है। लेकीन आज खेल कोई खेल की भावना से या देश के लिए
ना खेलते हुए उसे अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा बना रहे है। ऐसे ही हालात आजकल हमारे देश में दिख रहे है। सुशील कुमार और नरसिंग पंचम यादव इनके बीच में पहलवानी
पे खिचातानी चल रही हैं। रियो ओलिंपिक्स में
74 किलो फ्री स्टाइल कुश्ती के लिए प्रतिनिधित्व करने के लिए सुशील कुमार सीधे कोर्ट
पहुँच गए हैं। अब वह नरसिंग पंचम यादव और अपने
बीच टेस्ट लेने की बात कर रहे हैं। जहां पहले
चयन समिति खिलाड़ियों का चयन करती थी वहा खुद खिलाड़ी ही अपने ऊपर ज्यादा भरोसा करते
हुआ समिति के विरुद्ध न्यायालय में जाने लगे हैं।
समिति का ये कहना हैं के पहले सुशील कुमार 66 किलो के वर्ग में खेलते थे किन्तु
अचानक वह 74 किलो वर्ग में खेलने की मंशा रखते हैं और उसे पूरा करने के लिए न्यायालय
का दरवाजा खटखटाते हैं। कुश्ती महासंघ पहले
ही से नरसिंग पंचम यादव के पक्ष में हैं और संघ उसे ही रियो ओलिंपिक्स में भेजना चाहते
हैं। ऐसे में अगर कोई खिलाड़ी न्यायालय में अपील दायर करे तो क्या
होगा। ऐसे में योग्यता परीक्षा लेने से गलत धारणा होगी तथा एक गलत तरीके की शुरुवात
होगी ऐसा भारतीय कुश्ती महासंघ का कहना हैं। जून के पहले सप्ताह में योग्यता परीक्षा
लेने के निर्देश देने के लिए सुशील कुमार के वकीलों ने कोर्ट से कहा हैं। कोर्ट ने रियो ओलिंपिक्स में कौन खेलेगा ऐसा पूछते
ही संघ ने कहा की इसका फैसला पहले ही हो चुका है इस बात पर न्यायालय ने सुशील कुमार
की भी बात को समझने के निर्देश भारतीय कुश्ती महासंघ को दी हैं।
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