आतंक का
चेहरा
आज
विश्व के हर एक देश के लिए आतंकवाद एक भयानक समस्या बनती जा रही हैं । आतंकवाद का कोई धर्म, कोई जात, कोई उद्देश्य नहीं होता । बस एक जुनूनियत होती हैं । कितने ही आतंकवादी संगठन हैं जो सिर्फ अपनी
हुकुमियत विश्व पर लादना चाहता हैं। हमारे
देश के लिए तो यह बहोत ही त्रासदीपूर्ण हैं ।
पहले पंजाब का आतंकवाद , अब कश्मीर का आतंकवाद । इसमे समानता यह हैं की इसमे पड़ोसी देशों का
महत्वपूर्ण हाथ रहा हैं। 26/9 का अमेरिका
के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पे हुआ हमला या 26/11 में मुंबई के ताज होटल पे हुआ हमला
इसे हम आतंकवाद का भयानक चेहरा नहीं तो क्या कहेंगे। अभी 2 दिन पहले अमेरीका के फ्लॉरिडा प्रांत के
ओरलाँड़ो के गे नाईट क्लब में हुए हत्याकांड को भी हम आतंकवाद का घिनोना रूप ही
कहेंगे । इसमे करीब 50 लोग मारे गए । इसमे शामिल हमलावर ओमर मतीन भी मारा गया । इसमे मतीन के तलाकशुदा पत्नी द्वारा दिये गए
बयान के आधार पर यह बात सामने आती हैं के मतीन शुरुवात में अच्छा था सबकी चिंता
करता था । लेकिन शादी के कुछ महीने के बाद
ही वह अलग तरह की हरकते करने लगा । पत्नी
को मारने लगा । छोटी छोटी बातों पर चिड़ने
लगा । किन्तु मतीन ने गे क्लब के
एमर्जन्सि नंबर से इसीस को फोन लगाकर अपनी पूरी जानकारी दी थी । इसका मतलब वह पहले ही से इसीस के संपर्क में
नहीं था। किन्तु इसके बाद ही इसीस ने मतीन
को अपना मेम्बर बताकर इस हमले की पूरी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ली हैं। इसीस यह एक ऐसी आतंकवादी संघटना है जो छोटे
छोटे बच्चों के दिमाग में जिहाद का जहर भरकर उनको उकसाता रहता हैं ताकि वह बचपन से
ही आतंकवाद में लगा रहे। इस हमले की
सराहना इस्लामिक स्टेट्स ने की हैं । कहते
हैं की आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता किन्तु जिस तरह से इस्लामिक आतंकवाद सारे
विश्व में फैलता जा रहा हैं वह काफी चिंताजनक हैं । इसिस कहता हैं की इस्लाम खतरे में हैं। किन्तु भारत के मुस्लिम जीतने सुखी हैं उतने तो
पड़ोसी मुल्क में भी नहीं हैं । हमारे यहा
हर धर्म हर जाती के इंसान को स्वतन्त्रता हैं उस पर किसी भी धर्म को मानने की
जबर्दस्ती नहीं हैं। किन्तु पड़ोसी मुल्क
जिस तरह का प्रचार करके कश्मीर में अस्थिरता
बनाये हुए हैं वह काफी खतरनाक हैं ।
जिस तरीके से ओसमा बिन लादेन को अमेरिका ने मार गिराया था अब वैसी ही चिंता
आतंकवादी संगठन के आकाओंकों हो रही हैं इसलिए वह ऐसे हमले कर रहे हैं । सिरिया में इसिस का जाल फैलता जा रहा हैं। वैसे देखा जाये तो अमेरिका की गुप्तचर संघटना इतनी
मजबूत हैं की लगभग हर गतिविधि पर सरकार की नजर रहती हैं। किन्तु वहा आसानी से मिलने वाले हथियार के कारण
यह पता करना मुश्किल हैं की कब कौन किसपे हमला करेगा या उस हथियार का इस्तेमाल करेगा। अमेरिका के हिसाब से 26/9 के बाद ईतने बड़े तौर पे
हुआ यह दूसरा हमला हैं जिसमे इतने लोगों की जान गयी हैं। इससे पहले फ़्रांस में, लंदन
में हुए हमलों को भी आतंकवादी हमले ही कहा जाता हैं। इसलिए अब जरूरी हैं के हर देश जो इस आतंकवाद से
परेशान हैं बल्कि विश्व के हर देश ने एक ऐसी मजबूत संघटना बनाई चाहीये जो के किसी भी
आतंकवादी हमला हो उस के गुनहगारों को ढूंढके निकाले और उसे कड़ी से कड़ी सजा दे ताकि
फिर ऐसी जुर्रत कोई भी कर ना सके।
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