भड़कीले
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मेरी
उम्र से मेरी त्वचा का पता ही नहीं चलता, या 60 साल के जवान या 60 ये बूढ़े या फिर तुम्हारी
साड़ी मेरी साड़ी से सफ़ेद कैसे। इस तरह के विज्ञापनों के कारण हम आज इसके इतने आदि हो
गए हैं के ज़्यादातर लोग अपनी सोचने की शक्ति भुलाकर बस विज्ञापनों में दिखाया तो सही होगा यह सोचकर वह
वस्तु खरीद लेते हैं। लेकिन आजतक ऐसी कोई
क्रीम नहीं बनी हैं जो के 7 दिनों में ही आपको गोरा बना दे। लेकिन हमे रेडीमेड मिलता हैं इस कारण हम वह चीज़
ले लेते हैं। किन्तु क्या हमने कभी यह
सोचा हैं के इससे सच में लाभ होगा के नहीं।
हमारे रोज के किचन में इतने सौन्दर्य प्रसाधन की वस्तु हैं के बाज़ार से
गोरा बनने की क्रीम लाने की कोई जरूरत नही ।
अगर हम हल्दी का ही प्रयोग करे तो क्रीम की जरूरत ही नही पड़ेगी। इसी तरह टमाटर, दही,
नींबू , खीरा , बेसन, मसूर की दाल इनका भी प्रयोग करने से सौन्दर्य में
चार चाँद लगेंगे। बच्चे तो इसके जाल में
इस तरह से फंस जाते हैं के बिना कुछ सोचे समझे वह चीज़ लेने के लिए अपने पैरेंट्स
के पीछे पड जाते हैं। एक मशहूर चॉकलेट का विज्ञापन
आता हैं जिसमे उसके साथ एक छोटा सा खिलौना दिया जाता हैं जिसके कारण बच्चे वह
चॉकलेट लेने की जिद करते हैं और इस तरह से चॉकलेट की बिक्री बढ़ जाती हैं। कोई कहता यह ड्रिंकिंग पाउडर मेरी एनर्जी बढाता
हैं तो क्या पुराने लोग बिना एनर्जी के सहारे जीते नहीं थे। कोई बड़ा स्टार कहता हैं के यह तेल लगाने से
आपके सर में ठंडक आएगी तो क्या पुराने लोग गरम ही रहते थे,
हमेशा गुस्सा करते थे। अगर कोई इन कंपनीयों
पे यह दावा कर दे के आपके विज्ञापन से यह परिणाम नहीं हुआ तो कैसे होगा। किन्तु कंपनी एकदम छोटे अक्षरों में उस प्रॉडक्ट
पे यह लिख देता हैं के हर आदमी के हिसाब से इसका परिणाम होगा। मतलब यह के ये बात हर आदमी पे लागू नहीं होगी। लेकिन यह बात कितने लोग समजते हैं। अभी कुछ महीने पहले एक नूडल्स बनाने वाली कंपनी
के प्रोडक्टस में शरीर को पाये जाने वाले हानिकारक तत्व पाये गए तो उस पर कुछ दिनों
के लिए पाबंदी लगा दी गयी थी। ऐसे कुछ साबुन
हैं के जिसको विदेश में आदमी के लिए नही तो कुत्तों को नहलाने के लिए इस्तेमाल किया
जाता हैं। किन्तु वह साबुन हमारे यहा बड़े ज़ोर
शोर से प्रचार करके आदमियों के नहाने का साबुन कहके बेचा जाता हैं। एक कंपनी जिसकी क्रीम ठंडी में नाक अगर बंद हो तो
या छाती पर लगाने से आराम मिलेगा ऐसे कहके बेची जाती हैं वह विदेशों में पाबंदी में
हैं। मतलब उस पर विदेशों में बंदी हैं। किन्तु हमारे यहा जन जागृति के अभाव में वह धड़ल्ले
से बेची जाती हैं। मतलब इसमे कंपनी के प्रॉडक्ट
की अच्छी तरह से जांच पड़ताल नहीं होती। इसके
लिए एक ठोस कारवाई की तथा कड़े कानून की जरूरत हैं। के अगर उस वस्तु के उचित परिनाम नहीं पाये गए तो
कंपनी पर कड़ी कानूनी कारवाई होगी।
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