Sunday, 12 February 2017

फिल्मों की शराब

फिल्मों की शराब 
"मुझे दुनिया वालों शराबी ना समझो मैं  पिता नहीं हु पिलाई गयी हैं" फिल्म लीडर का यह गाना सुनते ही हमारे जेहन में आता हैं वह दिलीप कुमार का लड़खड़ाता अभिनय।  हमारे फिल्मों में शराबी का अभिनय बिना शराब पिए ज़िंदा किया हैं वह है जॉनी वॉकर ने।  कहते हैं के मरते दम तक जॉनी वॉकर ने शराब को हाथ नहीं लगाया था।   किन्तु उनका अभिनय ही इतना दमदार था के क्या कहना।  हमारे  बॉलीवुड में शराब पर बहोत से गाने फिल्माए गए हैं।  गाने क्या इस पर तो संवाद भी लिखे गए हैं " कौन कम्बख्त हैं जो बर्दाश्त करने के लिए पिता हैं , मैं तो पिता हूँ के बस सांस ले सकु"।  यह मशहूर संवाद फिल्म " देवदास " का हैं जो दिलीप कुमार ने बोला था।  शराब पे बने हुए गाने भी काफी मशहूर हुए हैं।  जैसे " जागते रहो " का मोतीलाल पे फिल्माया गया गाना "जिंदगी ख्वाब हैं ख्वाब में झूठ क्या भला और भला सच हैं क्या" . क्या सच कहा गया हैं उस गाने में।  जिसे शैलेन्द्र जी  ने लिखा और संगीत दिया था सलिल चौधरी ने और गाया था मुकेश जी ने।  बहोत कमाल का गाया था।  फिल्मों में कहा गया के शराब पीने से गम हल्का होता हैं।  सबके लिए यह बात अलग अलग लागू होती हैं।  किन्तु यह बात शायद सच होगी के पीने के बाद होश में ना रहने के कारण आदमी कुछ देर के लिए ही सही लेकिन इस दुनिया से परे हो जाता हैं।   किन्तु जिस तरह से हमारे फिल्मों में शराबी के गाने फिल्माते हैं तो उससे तो लगता हैं के सच में शराब गम हल्का करता हैं।  अब इस गाने को ही ले लीजिये जो "कुली "  फिल्म में था उसमे कहा ही गया था " मुझे पीने का शौक नहीं, पिता हूँ गम भुलाने को , तेरी यादें मिटाने को " अब अगर सच में शराब पीने से आदमी की याददाश्त गई रहती तो हर क्रिमिनल ने गुनाह करने के बाद शराब पीके अपनी याददाश्त मिटाई रहती और कोर्ट भी यह साबित नहीं कर पाता की यह गुनहगार हैं क्योंकि उसकी याददाश्त बची ही नहीं  रहती थी।  किन्तु ऐसा होता नहीं हैं।  कुछ ख़ास गीत जो शराब के ऊपर फिल्माए गये हैं।   जो काफी मशह्र्र हुए हैं।  
  छलकाए जाम आइये आपकी आँखों के नाम - मेरे हमदम मेरे दोस्त
छु लेने दो नाजूक होठों को - काजल
मुझको यारों माफ़ करना में नशे में हु - में नशे  में हूँ
मुझे नौलखा मंगा दे रे ओ सैयां दीवाने - शराबी
इम्तहान हैं हैं हैं हैं तेरा इम्तहान हैं - सुहाग
पी ले पी  ले ओ मोरे राजा -  तीरंगा
पंडित जी मेरे मरने के बाद - रोटी कपड़ा और मकान   इस गाने में हीरोइन खुद ही कहती हैं के मेरे मरने के बाद मेरे मुँह में गंगाजल की जगह शराब की दो चार बुँदे डाल देना।  हम यह नहीं कहते के फिल्मों ने शराब को बढ़ावा दिया हैं किन्तु शराब के गाने काफी मशहूर हुए हैं।  जिस तरह से हमारे फिल्मों में हर इवेंट के लिए गाने बने हैं उसी तरह से शराब पे भी बहोत से गाने बने हुए हैं।  आखिर में हम इतना  कहना चाहेंगे
" भले ही लगे प्यारी प्यारी शराब
जिसको पीने से भूल जाते हैं सारे हिसाब
किन्तु जाते ही शरीर के भीतर 
आदमी क्यों बन जाता हैं हैवान 
इसलिए कहता हूँ मेरे दोस्तों 
मिलते ही शराब दे दो नही नहीं का जवाब "


 

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