शादी या बर्बादी
कहते हैं के शादी हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग हैं . इसमें हम दिल खोलकर खर्च करते हैं और दिल खोलकर मस्ती भी करते हैं . यह इसलिए भी क्योंकि हम शादी एक बार ही करते हैं
. हमारे देश का रिवाज़ ही ऐसा हैं. किन्तु हम कभी यह सोचते हैं के इस शादी किस किस चीज़ की बर्बादी होती हैं. इसमें सबसे पहले होती हैं खाने की बर्बादी . हम देखते हैं के लोग खाना खाने के बजाय बर्बाद ज्यादा करते हैं. और इसमें पैसो की बर्बादी होती हैं वह अलग. अगर हम इन सबपे रोक लगाए तो कैसा रहेगा. किन्तु आजकल ज़माना दिखावे का हैं. तो हर एक आदमी चाहता हैं के वो शादी में कुछ ऐसा करे के जिससे उसे सब याद रखें. किन्तु उसमे वह यह भूल जाता हैं के इस कारण कितने पैसो की और उस अमूल्य अनाज की बर्बादी होती हैं. जिसे उगाने में हमारे किसानों का कितना पसीना बर्बाद होता हैं. किन्तु इसमें सोचने को किसीके पास समय ही नहीं हैं. कहते हैं के हमारा पैसा बर्बाद हो रहा हैं आपको क्या. किन्तु यह बात वह सोचता नहीं के दो वक़्त की रोटी पाने के लिए आदमी को कितना संघर्ष करना पड़ता हैं. और इसके लिए कोई क़ानून भी नहीं हैं जिसके कारण हम दोषी आदमी पर करवाई कर सके किन्तु अब यह संभव होते दिख रहा हैं. हमारे देश का जम्मू और कश्मीर ऐसा पहला राज्य बन गया हैं जो की इस तरह के शादियों और छोटे आयोजनों में फिजूलखर्ची रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी किये हैं. इसे नहीं मानने पर सजा होंगी
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अब ऐसे करने होंगे आयोजन
* लड़की की शादी में ५००, लड़के की शादी में ४०० और छोटे फंक्शन में १०० से ज्यादा मेहमान नहीं बुला सकते. इनविटेशन कार्ड्स के साथ ड्राई फ्रूट्स ,
मिठाई और कोई गिफ्ट नहीं भेज सकते.
* नॉन-वेज के ७ और वेज के ७ डिशेश से ज्यादा नहीं परोस सकते. मिठाई और फलों के दो से ज्यादा स्टाल्स नहीं रख सकते
* एम्पलिफिएर्स और लाऊड स्पीकर्स नहीं बजा सकते । न ही आतिशबाजी कर सकते हैं ।
कच्चे या पके खाने की बर्बादी नहीं करनी हैं । अगर कुछ बचता हैं तो उसे फेंक नहीं सकते । जरुरतमंदो या वृद्धाश्रमों में देना होगा.
यह व्यवस्था १ अप्रैल २०१७ से पुरे जम्मू और कश्मीर राज्य में लागू हो जाएँगी । सरकार द्वारा बनाये गए दिशा निर्देशों का सकती से पालन हो इसकी जिम्मेदारी जिलाधिकारियों की होंगी । उन्हें आदेश दिया गया हैं की इन निर्देशों को नजरअंदाज करने वालों पर सीआरपीसी की धरा १३३ और १८८ के तहत सख्ती से करवाई करे । इसमें किसीके साथ भी नरमी नहीं बरती जायेगी चाहे वह सरकार या समाज में कोई भी रुतबा रखता हों। जिनके यहाँ कुछ महीने में शादी हैं और उन्होंने व्यवस्था कर ली हैं वह क्या करे । तो सरकार के तरफ से यह स्पष्ट किया गया हैं के उनके पास ४० दिन का वक़्त हैं वह दुबारा अपनी व्यवस्था कर ले । ऐसे में यह कानों अगर पुरे देश में लगे तो वह दिन दूर नहीं जब हर व्यक्ति को दो समय का खाना नसीब होगा.।
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