अंगदान - श्रेष्ठदान
'मेरे बाद मेरे आँखों से तुम यह दुनिया देखना' यह सिर्फ एक फिल्मी डायलॉग नहीं हैं। आज यह संभव हैं नेत्रदान के कारण। उसी तरह हम हमारे शरीर के पुरे अंगदान कर सकते हैं। अंगदान क्या हैं - अंगदान एक ऐसी प्रक्रिया हैं जो हमारे ऊतकों को या हमारे शरीर के अंग को एक जीवित व्यक्ति या कुछ देर पहले मृत हुए शरीर से अंग निकालने की प्रक्रिया हैं। जिसे निकालके दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित करने की प्रक्रिया हैं। जो अंग दान करता हैं उसे दाता तथा जो वह प्राप्त करता हैं उसे प्राप्त करनेवाला कहते हैं। इसे किसी भी उम्र के व्यक्ति दान कर सकते हैं। शरीर के कुछ अंग जीवित व्यक्ति भी दान कर सकता हैं बशर्ते वह अपनी सम्मति दे। ज्यादातर सब अंग एक मृत व्यक्ति द्वारा दिए जा सकते हैं किन्तु इसे प्राप्तकर्ता के पास व्यक्ति के मृत होने के कुछ ही घंटो के बीच पहुंच जाने चाहिए। और जीवित व्यक्ति के सम्बन्ध में उसकी पूर्वानुमति आवश्यक हैं। मृत व्यक्ति के सम्बन्ध में उसके परिजनों की सम्मति लेना आवश्यक हैं।
स्वेछिक अंगदान होता हैं, जहा तक हो सके सब अंगदान स्वेछिकता से ही होते हैं। स्वेछिक अंगदान दो तरह का होता हैं. एक जहा पर दाता खुद ही सम्मति देता हैं और दूसरा जहा पर कोई भी व्यक्ति अंगदान को मना नहीं करता। हमारे देश में हम पहली स्वेछिक अंगदान को मानते हैं जहा दूसरी और पश्चिमी देशों में दुसरी स्वेछिक प्रणाली को मानते हैं। ज्यादातर अंगदान गुर्दा, नेत्र, ह्रदय, फेफड़े, जिगर, अग्नाशय और त्वचा के मामलो में होता हैं। किन्तु अंगदान की काफी कमी देखी जा रही हैं। इसे परिवार के नामंजूरी के कारण और अंगदान के बारे में गलतधारणाओं के कारण कमी हो रही हैं। और इसे धर्म, डर ,अज्ञानता, ग़लतफ़हमी, कानूनी पेचीदगी और अंगदानो के बारे में हो रही तस्करी के कारण भी लोग अंगदान करने से डरते हैं। अंगदान को बढावा देने के लिए हमें कुछ उपाय करने होंगे जैसे मरीज के इलाज को बेहतर बनाना ताकि उसकी मौत होने के बाद शरीर अंग को आसानी से प्राप्त कर सके। मतलब उसके परिजनों को यह भरोसा होना चाहिए के बेहतर इलाज के बावजूद उसकी मौत हो गयी तो उसके अंगदान करके कुछ अच्छा काम करना होगा। देश में प्रशिक्षित प्रत्यारोपित समन्वयोंको को तथा प्रशिक्षित सलाहकारों को नियुक्त करना होगा। वैद्यकीय सुविधाओं को बेहतर बनाना होगा। विशेषज्ञ तथा सर्जनों की संख्या बढ़ानी चाहिए। उपलब्ध सुविधाओं को बेहतर बनाना होगा। समाज के भीतर अंगदानो के महत्व को बढ़ाना चाहिए, अंगदानो के बारे में समाज में जागृति होनी चाहिए। अंगो के बेहतर पैकिंग, परिवहन तथा प्रत्यारोपण की प्रक्रिया सहज सुलभ होनी चाहिए। हमें यह याद रखना होगा की अंगदान के कारण किसीके शोक को दूसरो के आनंद में बदलने की शक्ति हैं। यह भी याद रखना होगा के मारने के साथ ही हम्मर अंग नष्ट होते हैं , किन्तु उसे दान करने से ही हम दूसरों के शरीर में अंग के द्वारा जीवित रह सकते हैं।
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